बैंकिंग लेन-देन में आज भी चेक का इस्तेमाल बड़ी संख्या में किया जाता है। कई लोग भुगतान और व्यापारिक सौदों में चेक पर ही भरोसा करते हैं। लेकिन चेक बाउंस (Cheque Bounce Law) लंबे समय से एक गंभीर समस्या बनी हुई थी। अकसर ऐसा होता था कि खाताधारक पर्याप्त बैलेंस न होने के बावजूद चेक जारी कर देता था और जब चेक बाउंस होता था तो भुगतान लेने वाले को आर्थिक और कानूनी परेशानी झेलनी पड़ती थी। इन समस्याओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चेक बाउंस मामलों के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये नियम ग्राहकों को अधिक सुरक्षा देंगे और बैंकिंग प्रणाली को और मजबूत बनाएंगे।
चेक बाउंस पर तुरंत मिलेगी सूचना
पहले जब चेक बाउंस होता था तो खाताधारक को इसकी जानकारी मिलने में देर हो जाती थी। कई बार इस देरी के कारण भुगतान लेने वाले और देने वाले दोनों पक्षों में विवाद खड़ा हो जाता था। RBI ने इस स्थिति को बदलने के लिए नया नियम बनाया है। अब अगर किसी का चेक बाउंस होता है तो संबंधित बैंक 24 घंटे के भीतर खाताधारक को SMS या ईमेल के जरिए इसकी जानकारी देगा। इससे खाताधारक तुरंत सतर्क हो पाएगा और स्थिति को संभाल सकेगा।
सजा और जुर्माने में बदलाव
Cheque Bounce Law में अब पहले से अधिक कड़ाई बरती जाएगी। पहले जहां अधिकतम एक वर्ष की सजा और जुर्माना लगाया जाता था, वहीं अब इसे बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया है। इसके साथ ही जुर्माने की सीमा भी बढ़ाई गई है और अब यह चेक की राशि के दोगुने तक हो सकती है। इसका सीधा मतलब यह है कि जो लोग जानबूझकर चेक जारी करते थे लेकिन खातें में पर्याप्त राशि नहीं रखते थे, अब उन्हें गंभीर सजा और भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
यह बदलाव व्यापारिक समुदाय के लिए भी अहम है। अक्सर कारोबारी समय पर भुगतान न मिलने की समस्या से जूझते थे, लेकिन अब उन्हें अपने पैसे के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह कदम लेन-देन को अधिक सुरक्षित बनाएगा और व्यापारिक भरोसा भी बढ़ाएगा।
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बार-बार चेक बाउंस करने वालों पर नजर
RBI ने बार-बार चेक बाउंस करने वाले लोगों पर सख्ती बरतने का फैसला लिया है। नए नियमों के अनुसार यदि किसी खाते से लगातार तीन बार चेक बाउंस होता है, तो बैंक उस खाते को अस्थायी रूप से फ्रीज कर सकता है। इससे खाताधारक भविष्य में अधिक सावधानी से चेक का इस्तेमाल करेंगे। यह नियम केवल व्यक्तिगत खातों पर ही नहीं बल्कि व्यापारिक खातों पर भी लागू होगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में अनुशासन बनेगा और बार-बार होने वाले विवादों में कमी आएगी।
तकनीकी गलती पर राहत
कई बार ऐसा होता है कि चेक बाउंस किसी तकनीकी गलती के कारण हो जाता है, जैसे सर्वर डाउन होना, स्कैनिंग में त्रुटि या बैंक की तरफ से हुई चूक। ऐसे मामलों में खाताधारक को दोषी नहीं ठहराया जाएगा। RBI ने साफ कहा है कि यदि चेक बाउंस की वजह तकनीकी गड़बड़ी है तो बैंक को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। यह कदम ग्राहकों को अनावश्यक कानूनी दिक्कतों से बचाएगा और बैंकों की जवाबदेही तय करेगा।
डिजिटल शिकायत प्रणाली से सुविधा
Cheque Bounce Law से जुड़ी शिकायतों के लिए अब ग्राहकों को बार-बार बैंक शाखा के चक्कर नहीं लगाने होंगे। RBI ने निर्देश दिया है कि सभी बैंकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज करने की सुविधा देनी होगी। ग्राहक घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे और उसकी स्थिति की जानकारी भी ले पाएंगे। इससे शिकायत प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी। पहले छोटे-छोटे विवाद भी अदालत तक पहुंच जाते थे, लेकिन अब शुरुआती स्तर पर ही समाधान मिलने से कानूनी बोझ भी कम होगा।
विश्वास और पारदर्शिता में बढ़ोतरी
नए नियमों से चेक बाउंस (Cheque Bounce Law) की समस्या पर नियंत्रण मिलेगा। ग्राहक चेक जारी करते समय जिम्मेदारी से काम करेंगे और बैंकिंग लेन-देन अधिक सुरक्षित होगा। व्यापारियों को समय पर भुगतान मिलेगा और खाताधारकों को भी यह समझ आ जाएगा कि लापरवाही अब उन्हें भारी पड़ सकती है।
RBI का यह कदम बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा और देश की वित्तीय व्यवस्था और मजबूत होगी।
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